प्यारी रौनक! कमी तुम्हारी,
नहीं भरेगी सदा खलेगी।
चुंबन पर प्रसन्न हो जाना,
ध्यान आकर्षण सब का करना,
अन्तर में छवि बनी रहेगी।
इस जीवन का कष्ट बड़ा था,
बांट नहीं पाता था कोई,
फिर भी तत्पर थे सब अपने,
रहो प्रसन्न यत्न करते थे।
अब तुम हो गयी हो ओझल,
देख नहीं पाएंगे तुम को!
कष्ट बड़ा है, पर है विवशता,
विधी विधान अपना करते हैं।
श्रद्धा पुष्प भेंट कर अपने,
ईश्वर से हम करें प्रार्थना,
नवजीवन यदि मिले तुम्हें तो,
यही जुड़ाव बनाए रखना।
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